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डिप्थीरिया (गलाघोंटू) पीड़ित दो बच्चे मिले, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

डिप्थीरिया (गलाघोंटू) पीड़ित दो बच्चे मिले, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

r संभल डॉ मुजम्मिल दानिश स्टोरी डिप्थीरिया (गलाघोंटू) पीड़ित दो बच्चे मिले, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

  •  संभल। जिले में एक सप्ताह के अंदर डिप्थीरिया (गलाघोंटू) पीड़ित कई बच्चे मिले हैं। इससे स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है। सतर्कता बढ़ाई गई है। और जिन इलाके में यह दोनों बच्चे मिले हैं वहां टीकाकरण अभियान चलाकर किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के जिला बाल विशेषज्ञ जिला अस्पताल दीपा शिखा का कहना है कि टीकाकरण तो लगातार किया जा रहा है। जिन इलाके में यह बीमार बच्चे मिले हैं इसके लिए विशेष टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। जिससे कोई भी बच्चा टीकाकरण से छूट न जाए।
  • जिला अस्पताल में पहला मामला चार वर्षीय बालक का आया था। जिसका उपचार किया गया है। वहीं दूसरा मामलाहायर सेंटर पहुंचा था। पांच वर्षीय बालक की हालत गंभीर होने पर हायर सेंटर रेफर किया गया है। मुरादाबाद के निजी अस्पताल में बालक का उपचार चल रहा है। जिला अस्पताल के कार्यवाहक सीएमएस डॉ. राजेंद्र सैनी ने बताया कि दो मामल आ चुके हैं। इसमें एक बालक की हालत गंभीर थी तो हायर सेंटर रेफर किया गया है। बाल रोग विशेषज्ञ से कहा गया है कि वह बीमार बच्चों के लक्षण की विस्तृत जानकारी करें। जिससे समय पर बच्चों का उपचार किया जा सके।

डिप्थीरिया के लक्षण क्या हैं

 

 

सांस लेने में दिक्कत होती है।

 

गर्दन में सूजन हो सकती है।

 

बच्चे को ठंड लगती है।

 

संक्रमण फैलने के बाद बुखार रहता है।

 

खांसी आने लगती है, खांसते वक्त आवाज भी बदल जाती है।

संक्रमित बच्चे के गले में खराश की शिकायत हो जाती है।

 

 

डिप्थीरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसने और छींकने से फैलता है। बारिश के मौसम में इसके जीवाणु सबसे अधिक फैलते हैं। ऐसे में सतर्कता बरतनी चाहिए। लक्षण दिखाई देते ही चिकित्सक के पास बच्चे को लेकर जाना चाहिए। हम बचाव के लिए टीकाकरण अभियान चलवा रहे हैं। जो बच्चे टीकाकरण होने से रह गए हैं उनको टीका लगाया जा रहा है।

डॉ. Cms राजेंद्र कुमार जिला संभल।

 

बच्चों में होने वाली डिप्थीरिया का इलाज अब यूपी के जिलों में संभव है। पहले इस बीमारी के इलाज के लिए मरीज दिल्ली तक जाते थे। मगर अब इससे पीड़ित बच्चों का उपचार जिला स्तरीय अस्पतालों में किया जा रहा है बच्चों के सांस लेने में तकलीफ, खांसी, गर्दन में सूजन हो तो इसे केवल ठंड लगने के लक्षण न मानें। डिप्थीरिया (गला घोंटू) भी हो सकता है।

 

समय से सही उपचार न मिलने से यह बीमारी बच्चों की जिंदगी पर भारी पड़ सकती है। इस महासंभल में आधा दर्जन से अधिक मरीज मिल चुके हें। जिनका उपचार किया गया है। इस बीमारी से बचाव के लिए डीएटी डिप्थिरिया एंटी टॉक्सिन इंजेक्शन मरीजों को लगाया जाता है।

 

बाइट दीप सीखा बाल शिशु विशेषज्ञ जिला अस्पताल

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